प्रफुल्लित जीवन
में
अमित सुमन
पल्लवित हो आपके, मेरी बेटियों
अरुषा, नोकेशा, काव्या
पहचान बनो तुम हमारी
अपने अम्मा-बाबा
की
मम्मी –पापा
की
चाचा –चाची की
प्रेरणा बनो
, आदर्श बनो
अपने भाइयों
की
अभिलाषा है मेरी।
नहीं कोई अंतर
बेटा- बेटियों
में
संतान सब एक
समान
अधिकार है एक
समान
फिर क्यों पीछे
है?
बेटियाँ !
शायद एक सोच
के कारण !
बदलो इस सोच
को...
बेटियों.....
भेदना है समाज
की कुरीतियों के
इस चक्रव्यूह
को
मर्यादा, संयम व संतुलन के साथ
तथास्तु।
सत्य के साथ सहयोग है
मेरा सदैव
आयुष्मान भव:, आयुष्मान भव:
अमित
No comments:
Post a Comment