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Wednesday, 25 January 2017

विचारो की पुर्नावृत्ति


उसने कुछ ऐसा कहा,
ऐसी शब्दावली का प्रयोग किया 
ऐसे सुर का प्रयोग किया
जो मुझे अप्रिय है,
जो मेरे अनुकूल नहीं है

उन्होने कहा सिर्फ एक बार,
मात्र एबार 
मेरे मन ने मुझसे कहा
कितनी बार?
उस वार्तालाप को...
मेरे मन ने कितनी बार
पुर्नावृत्ति की एक बार, 
बार-बार, अनेक बार
एक पल, एक छण, एक दिन 
या फिर वर्षो तक!

उनके सुर ने आहत किया
मेरे अर्न्तमन को एक बार
मैंने अपने को आहत किया 
कितनी बार?
बार-बार अनेक बार...
विचारों के पैण्डुलम ने 
कितनी बार आयामों की आवृत्ति की!

विचारा, मनन किया, सोचा ,
मुझे क्या ग्रहण करना है? 
क्या नहीं ?
मेरे अर्न्तमन में, 
कौन प्रवेश करेगा, कौन नहीं ? 
कौन सी भावनायेंकौन से शब्द, 
कौन सी ध्वनि
कर्कश अप्रिय, वार्तालाप या 
फिर स्वयं के अर्न्तमन की मधुरध्वनि।

ये निर्णय मेरा है 
किसका प्रवेश वर्जित है,
किस का नहीं,  
ये मेरा, सिर्फ मेरा ही फैसला है।

मैं उनके शब्द ग्रहण करू 
या फिर छोड़ दूँ !

ऐसे ही सन्नाटे में...
उनको ही कचोटने के लिए 
उनके की शब्द,
उनकी कर्कश ध्वनि!
ऐसे ही सन्नाटे में...

अप्रिय वार्तालाप, 
उनकी कर्कश ध्वनि
उनकी कर्कश ध्वनि तो 
बस एक तरंग हैं मात्र !

मेरा अपने अर्न्तमन पर
मेरा स्वयं का नियंत्रण है

किन्तु यह भी सत्य  है
उनके शब्द, उनकी  भावना ,
उनकी कर्कश ध्वनि,
उन्ही मे ही सृजित हुई है
अत: वह उनकी ही  सम्पत्ति  है
उनके ही पास है ।

मैं उसे धारण करूँ अथवा नहीं
ये मेरा ,सिर्फ मेरा फैसला है
और यही सच है।



अमित
मेरी कविताए स्वरचित व मौलिक ह

Thursday, 19 January 2017

जय हो निंदा रस



जय हो निंदा रस
साहित्य के नौ रस श्रंगार, हास्य,
करुण, रोद्र, वीर, भयानक, 
विभत्स अद्भतु और शांत
इनके अतिरिक्त एक ओर रस है 
जो अनमोल है, मीठा है, प्रिय है।
वह है निंदा रस ।

समालोचना-आलोचना कब
विलीन हो जाती है 
निंदा रस में
ज्ञात ही नहीं रहता है।

स्तुति असत्य हो सकती है।  
परन्तु निंदा मे कुछ तो
सत्य निहित रहता ही है!
जो संतोष का अनुभव है 
निंदा रस मे!
न किसी वार्ता मेँ, न किसी चर्चा मे,
न किसी वाद –विवाद मे ओर ,
न ही किसी साहित्य मे !

प्रात: से संध्या, रात से दिन तक
न जाने कितना समय व्यतीत हो जाता है,
परन्तु इसका रस कभी कम नहीं होता है
छिद्रान्वेषण पर निर्भर है 
निंदा रस
निंदा यानी के पीठ पीछे,
त्रुटियो  को अलंकृत कर बखान करना है
निंदा रस

एक दिन अचानक सोचा ?
एक नये सकारात्मक दृष्टिकोण से
व्यकितत्व के आकलन मे
कमियो के स्थान पर 
गुण अधिक नज़र आने लगे है
स्वयं मे भी
कमियो के स्थान पर गुण 
अधिक नज़र आने लगे है
निंदा रस के सहारे। 

जय हो निंदा रस
जय हो निंदा रस
अमित
मेरी कविताए स्वरचित व मौलिक है।

प्रवासी मजदूर!

प्रवासी कौन है ? प्रवासी का शाब्दिक अर्थ है जो अपना क्षेत्र छोड़ काम धंधे के लिये, एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में  में निवास करता है अर्थात...