अविरल ऊर्जा है- खादी
खादी हाथ से कता सूत या
एक परिधान मात्र ही नही!
एक परिधान मात्र ही नही!
अपितु एक विचार-धारा है।
एक सिद्धांत है।खादी
स्वावलंबन , आत्मनिर्भरता
व स्वदेशी तकनीक का
प्रतीक है खादी।
जन गण का आत्मविश्वास व
स्वाभिमान है खादी।
प्रत्येक
ईकाई को सम्पूर्ण ईकाई
व
आत्मनिर्भर बनाने का
एक प्रयास है खादी
चित्र कोई भी हो खादी के
मायने,
वही है,जो कल थे, जो आज है
और जो कल भी रहेग़े।
मूल सिद्धांत
आत्मनिर्भरता ही है
जो आज भी प्रासंगिक हैं ।
चरखे का चक्र
अनवरत गतिशील, स्वदेशी तकनीक,
अविरल उन्नति व
विकास का प्रतीक हैं
खादी व चरखा पर्याय एक दूसरे के
समयानुसार विचारधारा में
कुछ संशोधन आवश्यक ही नहीं
अपितु अवश्यंमभावी है
जो जड़ से चेतना का प्रतीक है।
परंतु सिद्धान्त वही है
भूल-भावना वही है ।
लाल किले की
प्राचीर पर लहराता तिरंगा
हमारी शान है खादी।
भारत के सपनों का
आकार है खादी।
जन-गण की रगो में
अविरल बहती ऊर्जा है
खादी।
अमित
मेरी कविता स्वरचित व मौलिक है।
मेरी कविता स्वरचित व मौलिक है।
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