कौन है सरकार?
क्या है सरकार?
प्रश्न कौंधता है
मेरे मन में
बार- बार
अनेक बार !
संसद राज्यसभा पंचायत कार्यपालिका
जनता के प्रतिनिधि !
मेरा मत
आपका मत या
फिर उस किसान का मत
जिसका बाढ़ में बह जाता है सब कुछ
नहीं बहता है
तो सिर्फ कर्ज़ !
कौन है सरकार
मुग़ल गार्डन में उभरे पदचिन्ह
या फिर गार्डन को
पुष्पित - पल्लवित करता माली
गेट के बाहर खड़ा सुरक्षाकर्मी
गटर में उतरा सफाईकर्मी
या फिर अनुबंधित मजदूर की रोटी से
नमक चुरा
रिश्वत देता ठेकेदार!
या फिर
सांप- सीड़ी का खेल खेलते
अफ़सर-बाबू !
सब देखता हूँ
खुली आँखों से
फिर भी बंद कर लेता हूँ आँखें
कबूतर के मानिंद
परन्तु जब कम होती है एक इकन्नी
मेरे मानदेय से खुल जाती है
कानून की पोथी और
सूचना का अधिकार
कौन है सरकार प्रेमचंद की
पञ्च-परमेश्वर !
अमिताभ की सरकार !
या मै आजाद हूँ !
अर्जुन का गांडीव
अभिमन्यू के रथ का पहिया
कृष्ण का चक्र, पांचजन्य
और गीता
सब है हमारे पास
फिर क्यूँ बेबस हूँ मै?
क्या?
संजाल है सरकार
समूह है सरकार
जंजीर है सरकार
कारवां है सरकार
या फिर कारवां के
अंतिम छोर पे खड़ा
मेरा दोस्त है सरकार !
हाँ शायद
मेरा दोस्त है सरकार
आओ इसका भार बाँट लें
ये मद्दम है उभार दें
संवार दें प्रसार दें
आओ इस अंतिम इकाई
को उठा दे ढ़ांचा
स्वत ही उठ जायेगा
राम सेतु
निर्माण में गिलहरी का
अकिंचन योगदान वैसे ही
मेरा, आपका
हम सबका एक छोटा सा
प्रयास है सरकार
हाँ यही है सरकार
हाँ यही है सरकार
अमित