मैं एक छोटे पौधे के
लिए...
बैठा हूँ
उसकी गुड़ाई के लिए
निराई के लिए
फूल खिलने के लिए
जरूरत है !
एक मुट्टी भर धूप की
जो घेर रखी है तुम्हारी
परछाई ने
उसे जरूरत है
दो बूँद पानी की
जो सोख लेती है
तुम्हारी प्यास !
अगर मैं उठ गया
और मेरा सिर
आप की नाक!
से टकरा गया
तो फिर मेरा दोष न
होगा।
अमित
मेरी कविताए स्वरचित व मौलिक है।
| |
Sunday, 2 October 2016
प्यास !
प्रवासी मजदूर!
प्रवासी कौन है ? प्रवासी का शाब्दिक अर्थ है जो अपना क्षेत्र छोड़ काम धंधे के लिये, एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में में निवास करता है अर्थात...
-
माँ के राज में , राज करती हैं बेटियाँ खिल खिला कर हँसती हैं तितलियों की भाँति स्वच्छन्द उड़ती हैं खेलती-कूदती हैं माँ ...
-
अविरल ऊर्जा है- खादी खादी हाथ से कता सूत या एक परिधान मात्र ही नही! अपितु एक विचार-धारा है। एक सिद्धांत है।खादी ...
-
शिक्षक दिवस , एक संकल्प का दिवस शिक्षकों के प्रति , आभार का दिवस शिक्षाओं को... धारण करने का दिवस समय क...
No comments:
Post a Comment