अपने ही दिल की
मेरा दिल तो, मेरे दिल मे
कहीं ओर!
आड़े आ जाता हैं
समर्पण
कितना सरल है,
क्षणिक आवेशित भावनाओं के
मेरी कविताए स्वरचित व मौलिक है।
प्रवासी कौन है ? प्रवासी का शाब्दिक अर्थ है जो अपना क्षेत्र छोड़ काम धंधे के लिये, एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में में निवास करता है अर्थात...
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