Pages

Wednesday, 3 August 2016

विश्वास

 
श्वेत दिन और श्याम रात
के अतिरिक्त 
मेरे पास अन्य कोई रंग नही है!
मगर सबको विश्वास है
अटूट विश्वास है!
धरती से अम्बर तक
रंगों को उत्सर्जित करने की
अपार असीम ऊर्जा
अपने अन्दर समटे हुए हूँ
मैं!

प्रेरित करते है मुझें, 
मेरे अपने स्वजन 
रंगों से सरोबार तूलिका को 
पकड़ने के लिए, 
लेकिनअँगुली से स्पर्श कर
बल्व जलाने की कोशिश करता हूँ
मैं!

परंतु क्या यह संभव है 
शायद नहीं !
लेकिन कभी सोचता हूँ
यह हो भी सकता है 
अगर अपनी समस्त ऊर्जा को 
एकाग्र कर एक बिन्दु पर केन्द्रित करे,
तो सब संभव हो सकता है । 
और शायद यही  उनका विश्वास है
अटूट विश्वास है। 
अमित
मेरी कविता स्वरचित व मौलिक है।

No comments:

Post a Comment

प्रवासी मजदूर!

प्रवासी कौन है ? प्रवासी का शाब्दिक अर्थ है जो अपना क्षेत्र छोड़ काम धंधे के लिये, एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में  में निवास करता है अर्थात...