ईश्वर
एक ज्योति स्वरूप
असीम, अक्षय चैतन्य
ऊर्जा है ।
न आदि है न अन्त
है
निर्विकार व
निराकार है
शुन्य से विस्तार
है ।
ईश्वर
परम आत्मा, परम सत्य
शाश्वत, अलौकिक है
सर्वशक्तिवान, सर्वज्ञ व
कल्याणकारी है
ईश्वर
|
परम मात्-पिता, बन्धु, सखा
व सदगुरू है
परम शान्ति, परम ज्ञान,
आन्नद और
प्यार का सागर है
ईश्वर |
असंख्य नामो से
पुकारते है
अनेक रूपों मे
देखते है
अनेक मत
मतान्तर है
|
परन्तु सर्व
मान्य,
सत्य है
कोई परम शक्ति
है
जो सबका मालिक
है
|
ईश्वर को जानना
अन्त:करण की
एक सुखद
आन्नदमय
अनुभुति है, अनुमान नही,
एक अनुभव है
एक अनुभुति है
जिसकी पतीक्षा मेँ हूँ
मैं! |
अमित
मेरी कविता स्वरचित व मौलिक है।
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