Pages

Tuesday, 12 July 2016

ईश्वर(Ishwar)



ईश्वर
एक ज्योति स्वरूप
असीम, अक्षय चैतन्य ऊर्जा है ।
न आदि है न अन्त है
निर्विकार व निराकार है 
शुन्य से विस्तार है ।
ईश्वर

परम आत्मा, परम सत्य
शाश्वत, अलौकिक है
सर्वशक्तिवान, सर्वज्ञ व
कल्याणकारी है
ईश्वर

परम मात्-पिता, बन्धु, सखा
व सदगुरू है
परम शान्ति, परम ज्ञान,
आन्नद और
प्यार का सागर है 
ईश्वर
  
असंख्य नामो से पुकारते है
अनेक रूपों मे देखते है
अनेक मत मतान्तर है

परन्तु सर्व मान्य,
सत्य है
कोई परम शक्ति है
जो सबका मालिक है

ईश्वर को जानना
अन्त:करण की
एक सुखद आन्नदमय
अनुभुति हैअनुमान नही,
एक अनुभव है
एक अनुभुति है
जिसकी पतीक्षा मेँ हूँ  
मैं!

अमित
मेरी कविता स्वरचित व मौलिक है।

No comments:

Post a Comment

प्रवासी मजदूर!

प्रवासी कौन है ? प्रवासी का शाब्दिक अर्थ है जो अपना क्षेत्र छोड़ काम धंधे के लिये, एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में  में निवास करता है अर्थात...