क्रोध विखंडन प्रक्रिया से
उत्सर्जित ऊर्जा है
भिन्नताओं के घर्षण से
उत्पन नकारात्मक ऊर्जा है
विचारों के टकराव से
उत्पन्न नकारात्मक विघुत है
अनुकूलता-प्रतिकुलता से
उत्पन्न आवेग है
मनोस्थिति का क्षणिक
असंतुलन है क्रोध!
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क्रोध के अनेक
कारक, कारण, विकारण हैं
परन्तु सृजन स्वम् करता हूँ
सृष्टि के समस्त अवयवों की
पहचान अलग-अलग हैं
भिन्न-भिन्न हैं
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सृष्टि की यही भिन्नता
सुन्दर! अदभूत! अप्रितम है
सब का किरदार
अलग-अलग हैं
रंगमंच का आन्नद लेना हैं
लुफ्त उठाना हैं तो ...
भिन्नता को स्वीकार करना ही है
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बस प्रयास की आवश्यकता है
पल भर क्रोध को देखना है बस!
दृष्टा की भॉति !
इस प्रयास की पुर्नावृति
से भिन्नताओं को स्वीकारने का
संस्कार उत्पन होगा।
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भिन्नताओं की संलयन
प्रक्रिया से उत्सर्जित
ऊर्जा के प्रकाश मे
अलविदा हो जायेगा क्रोध।
अलविदा क्रोध, अलविदा
क्रोध।
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अमित
मेरी कविताए स्वरचित व मौलिक है।
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Thursday, 28 July 2016
अलविदा क्रोध( Goodbye Krodh)
Tuesday, 26 July 2016
कोण (Angle)
जो मैं सोचता हूँ
क्या वो ठीक है।
सच है !
जो हम करते हैं
क्या वो ठीक है
पूर्ण है ?
जीवन के भिन्न-भिन्न
कोण !
हर कोण का एक अलग
दृष्टिकोण !
पल-पल मे बदलते हैं।
दिन के रंग
दिन के हर अंश के साथ
बदलता है हिमालय का रंग !
लाल,पीला,नीला,सतरंगी,बर्फीला
न जाने कौन सा रंग...
सच है !
हर कोण का अलग अंश...
अलग दृष्टिकोण !
न जाने कौन सा दृष्टिकोण...
सच है !
अमित
Sunday, 24 July 2016
कौन कहता है? मैं अकेला रहता हूँ !
कौन कहता है !
मैं अकेला रहता हूँ
पहाड़ो पर...
अप्रतिम सौन्दर्य
की छाँव तले रहता हूँ
बर्फीली हवाओ व देवदार के
संग रहता हूँ
ओलावृष्टि मे मोतियों की
सेज पर चलता हूँ
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Wednesday, 20 July 2016
कौन हूँ मैं ? (Who am I)
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आखिर
कौन हूँ मैं ?
या
फिर मात्र एक शरीर !
शरीर
भी विसर्जित हो,
पचं-तत्व में विलीन हो जाता है।
लेकिन
फिर भी शेष रह जाता है
मेरा
स्वम् का अस्तित्व।
मैं हूँ एक ज्योतिमय
बिन्दू !
एक शुन्य !
जिसका ओर ना छोर
न आदि न अन्त
दृष्टा हूँ मैं
चैतन्य अविनाशी अक्षय
ऊर्जा हूँ मैं ।
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आन्नद, खुशी, सुख, शान्ति
सब मेरे अन्दर निहित हैं
बस अपने ऊपर ओढ़े अनेक
आवरणों को हटा...
वातायन के पट खोलने की देरी है बस...
सब खुशीयों का खजाना है हमारा है
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मै एक आत्मा हूँ
खुदा का नूर हूँ
जीज़स की लाइट हूँ
गुरू का प्रकाश हूँ
अनुमान नही,एक अनुभव है
अनुभूति है, मै
एक आत्मा हूँ
अज़र अमर अविनाशी आत्मा हूँ ।
अमित
मेरी कविता स्वरचित व मौलिक है।
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Sunday, 17 July 2016
"सड़क " (Road)
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प्रवासी मजदूर!
प्रवासी कौन है ? प्रवासी का शाब्दिक अर्थ है जो अपना क्षेत्र छोड़ काम धंधे के लिये, एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में में निवास करता है अर्थात...
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माँ के राज में , राज करती हैं बेटियाँ खिल खिला कर हँसती हैं तितलियों की भाँति स्वच्छन्द उड़ती हैं खेलती-कूदती हैं माँ ...
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अविरल ऊर्जा है- खादी खादी हाथ से कता सूत या एक परिधान मात्र ही नही! अपितु एक विचार-धारा है। एक सिद्धांत है।खादी ...
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शिक्षक दिवस , एक संकल्प का दिवस शिक्षकों के प्रति , आभार का दिवस शिक्षाओं को... धारण करने का दिवस समय क...